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आज कल के समय में लोग जंगलों को काटते जा रहे हैं जंगलों के कटने से बाघ खत्म होते जा रहे हैं जो हमारे देश के लिए खतरनाक साबित होता जा रहा है आजादी के समय हमारे यहां बाघ 72000 हजार थे सन् 2011 में कुछ हजार रह गए और अब केवल अंगुलियों की संख्या से भी कम रह गए हैं. समस्या इस बात की है इनको बसाने के लिए जंगल चाहिए लेकिन जंगलों में अब गांव के लोग ही रहने लगे हैं लेकिन अब उनको बसाने की कवायद शुरु की जा रही है जिसके लिए रणथम्भौर से लाए गए दो बाघों को लाया गया और उनको बसाने की कवायद शुरु की जा रही है जिसके चलते गांव वासियों को हटाने का प्रयास किया जा रहा है रणथम्भौर से लाए गए बाघों की संख्या में अब इजाफा हो रहा है और उमड़ी गांव वालों को विशेष अनुदान देकर उनको वहां से हटाया जा रहा है और गांवों को फिर से जंगल की ओर तब्दील किया जा रहा है. अगर ऐसी शुरुआत है तो बहुत अच्छी शुरुआत है इससे हमारे देश का बाघों की संख्या में इजाफा होगा और पूर्णत: शहरीकरण होते इस देश में जंगलों को तो बसाना ही होगा.
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