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मैं अपना गम देखता हूं तो लगता है कि सारा गम मेरे ही पास है लेकिन जब मैं देश या किसी जिले को देखकर या उनकी खबर को पढ़ता हूं तो लगता है कि और भी गम हैं इस दुनिया में हम बात कर रहे हैं हमेशा हाशिए पर रहने वाले बुंदेलखंड की जहां बंधना रैदास जो बेचारे जन्म से विकलांग हैं और उनकी पत्नी जन्म से नेत्रहीन है और सात साल की बच्ची को किसी ने दिल्ली में बेच दिया बच गई तो बस डेढ़ साल की बच्ची उनकी हालत को देखकर यह लगता है कि सारा गम तो इन्हीं के पास है। इसके बावजूद भी कोई कांग्रेस का या कोई मुख्यमंत्री इस तरफ आंख उठाकर भी देखना नहीं चाहते हैं वह तो बस राजनीतिक रोटियां सेकने में मस्त है। मगर गरीब परिवार की लाचारी और बेबसी को देखना भी नहीं चाहते हैं मुख्यमंत्री की बात ही क्या करें राहुल गांधी भी बुंदेलखंड कितनी बार गए और कई गांवों में गए पर बांदा के इस गांव में जाने से वंचित क्यों हो गए वह क्या गरीबी को न हटाकर गरीबों को हटाना चाहते हैं। अगर ऐसा युवा नेता की सरकार इस प्रदेश में बन गई तो इस प्रदेश का क्या होगा? यह तो हाई प्रोफाइल युवा नेता ही बता सकते हैं जो इस विषय पर बोलना भी नहीं चाहते हैं।
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