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अड्डेबाजी का कल्चर बदलता जा रहा है पहले केवल यह चौराहा व वह चौराहा उसके बाद ये गली वो नुक्कड़ में चार लोग या इससे ज्यादा लोग इकट्ठा हो जाते थे और हो हल्ला और गपशप करते समय बिताते थे लेकिन अब ये कल्चर भी बदल गया है इसके बदलते ही अब यह जगह लडक़ों वा आदमी की ना होकर अब लड़कियों ने ले ली है। लड़कियां स्कूल बंक करके या कोचिंग खत्म करके आपस में खड़े होकर अड्डेबाजी करती हैं। मैं भी एक बार अड्डेबाजी लड़कियों के समूह के पास से गुजर रहा था तो मैंने कुछ उनके वक्तव्य सुनें और वह आपस में बातें कर रहीं थीं कि उसकी सेटिंग उसने कराई थी नहीं इसकी सेटिंग हमने कराई थी। अगर यह लड़कियों का कल्चर अड्डेबाजी में बदल रहा है तो यह गलत है। अड्डेबाजी लड़कियों को भी करनी चाहिए लेकिन उसके कुछ मुद्दे और हों जैसे ईव टीजिंग मुद्दों पर बातचीत हो और उसके सुरक्षात्मक मुद्दों पर चर्चा हो तो अड्डेबाजी लड़कियों की भी सफल मानी जाएगी।
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