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कालका मेल के दुर्घटनाग्रस्त होते ही पूरा देश रेल में सफर को लेकर डर चुका है डरना उसका वाजिब है कि दुर्घटनाएं तो रेल की होती रहती हैं जिसको लेकर सरकार कभी गंभीर नहीं होती है उससे भी ज्यादा डर तब लगता है कि सारी सुविधाएं जो घंटे भर के अंदर मिलनी चाहिए वो मिलती हैं चार घंटों में जिनकी जान बचाई जा सकती थीं उनको मौत के मुंह में जाने दिया सिर्फ महज एक दूसरे के ऊपर मडऩे के कारण। फिर भी यह भारत देश है इसमें डर डर के जीकर को ही लोग जीते हैं क्या बंबई बम कांड की पांचवीं बर्सी में भी क्या लोगों ने रेल में यात्राएं करना छोड़ दिया नहीं। तो क्या हुआ इस भयानक हादसे के बाद लोग क्या रेल में यात्राएं करना छोड़ देंगे नहीं। फिर भी लोग यात्राएं करेंगे लेकिन किसके भरोसे करेंगे। शायद उनको ऊपर वाले का नाम लेकर ही यात्राएं शुरु करनी होंगी तभी उनकी यात्रा मंगलमय होगी। वर्ना भारतीय रेल आपकी किसी प्रकार की मदद तो करेगी नहीं।
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