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एक हैं उत्तदर प्रदेश की मुख्यिमंत्री मायावती एक मुख्यमंञी हैं ममता बनर्जी दोनों में अंतर देखिए कितना है एक तो अपनी हनक के लिए जानी जाती हैं तो दूसरी भी अपनी हनक के जानी जाती हैं एक का हनक चलता है अपने प्रदेशकी शासन व्य वस्थाभ के अधिकारियों पर जिनको वह जब चाहें जहां चाहें उन्हें वह भेज सकती हैं या यूं कहें कि ट्रांसफर कर सकती हैं एक हनक दिखाती तो है लेकिन उसकी हनक जनता की भलाई के लिए होती है चंद दिन पहले की घटना है ममता बनर्जी एक अस्पसताल में जाती हैं वहां के डाक्टर को डांट लगाने के बाद बुलाने के लिए कहती हैं पर डाक्ट र का जवाब यह आता है कि अभी काम कर रहा हूं थोडी देर बाद आऊंगा ममता बनर्जी बिना कुछ कहते हुए वहां से चली जाती हैं थोडी देर बाद डाक्टऊर निलंबित कर दिए जाते हैं यह हनक काम की है जिसमें जनता का भला होता है लेकिन मायावती को अपनी हनक की तब याद आती है जब उनकी सरकार का आखिरी साल होता है तब वह हर जिले में घूम घूम कर सारे प्रशासनिक काम में लापरवाही देखकर डांट लगाती हैं काम तो अच्छाि कर रही हैं लेकिन चार साल पहले उन्होंयने ऐसा क्यों नहीं किया अगर उन्होंहने शुरुआत से ऐसा किया होता तो शायद उत्तोर प्रदेश की स्थिति ऐसी न होती यह भी प्रदेश बिहार और पश्चिम बंगाल से निकलकर आगे होता
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