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गुजरात में पुलिस अफसर ने खुद को खत्म कर लिया क्योकि वह अपने ऊपर बैठे भ्रश्ट अधिकारियों की तरह रिश्वत नहीं लेता था उसकी यह गलती थी उसने अपने आपको मारकर यह सिदध कर दिया कि इस देश में रिश्वत कभी खत्म नहीं हो सकती तो अन्ना हजारे के इस जन लोकपाल विधेयक का क्या होगा मैने तो बहुत दिनों बाद सुना कि एक पुलिस अफसर ने सिर्फ इसलिए खुदकुशी कर ली कि वह ईमानदार था पुलिस अफसर ने एक सुसाइड नोट लिखा जिसमें उसने अपने ऊपर बैठे अधिकारियों के नाम और उनकी कारगुजारियों के बारे में लिखकर उसने खुद को खत्म कर लिया लेकिन क्या उसकी खुदकुशी वहां की राज्य सरकार या केंद्र सरकार को हिला सकती है शायद नहीं क्या उसकी मौत को एक शहादत के रुप में देखी जाएगी शायद मैं ही गलत हूं लेकिन अन्ना हजारे के बिल को पास होते होते उसकी मौत को एक मानसिकता के शिकार का रोगी बता दी जाए क्योंकि इस देश में सब कुछ जायज है लेकिन उसकी मौत से न तो रिश्वत की प्रथा खत्म हो सकती है और न ही उसकी ईमानदारी से उसके परिवार को कोई तमगा दिया जाएगा लेकिन उसकी मौत ने एक बात तो सच कर दी है कि ईमानदारी की ऐसी ही मौत होती रहेगी और रिश्वत की उस बाढ कोई रोक नहीं पाएगा।
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