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अन्ना हजारे के गांव से शुरु भ्रश्टाचार विरोधी आंदोलन जब पूरे देश में चला तो पूरा देश एकदम से जाग गया और आंदोलन पूरे देश में होने लगा लेकिन सरकार ने इस आंदोलन के आगे अपना राजपत्र जारी तो किया लेकिन उसके बाद कपिल सिब्बल का बयान से और भटकाव देना क्या यह सरकार सिर्फ अन्न के आगे ना झुककर देश की जनता के आगे झुकी है क्या उसको यह डर सताने लगा है कि जो तहरीर चौक पर आंदोलन शुरु हुआ और उस देश का शासन परिवर्तन हुआ उसके बाद लीबिया में जो लडाई चल रही है उसको देखते हुए हमारी सरकार ने सोचा कि अगर हमारे यहां भी आंदोलन और तेज हो गया तो हमारी भी सत्ता को गिराने में समय भी नहीं लगेगा यह सोचकर सरकार ने अन्ना की बातों को मान तो गई लेकिन इसको इस तरीके से फैसला दिया कि अन्ना भी खुश और जनता भी खुश लेकिन वह क्या इस फैसले से भ्रश्टाचार को खत्म भी कर पाएगी या नहीं और हां विदेशों में जो काला धन है उसको भी ला पाएगी या नहीं।
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